Mar 26, 2010

ऐ दोस्त


क्यों
खफा -खफा सा रहता है
क्यों
बुझा-बुझा सा रहता है

दोस्त
जरा सर को झुकाकर
नजरों को
दिल के आइने पे डाल
हमारा ही न मिटने वाला
अमिट प्रतिबिम्ब दिखाई देगा
और
फिर नम आखों से
झरते असूंओं के मोतिओं में
ओस की
बूंद सा नजर आऊंगा

दोस्त !

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

DOSTI PAR BAHUT KHOOB LIKHA HAI...

Yatish Jain said...

Bahut sunder rachana.
aage bhi aisi rachnaye milegi isi ummed mai
Yatish