May 13, 2010

भविष्य


लगता है
इस देश का
भविष्य
रह गया है
सिमट कर
भ्रष्टचार
महंगाई
आरक्षण
और
आतंक
के
दायरे में
भरष्टाचार ने
थाम रखा है
दामन
महंगाई का
और
आरक्षण ने
पहन रखा है
चोला
आतंकवाद का !

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

mehgai maar gai.........

मुसाफ़िर said...

दिल नाउम्मीद तो नहीं , नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम , मगर शाम ही तो है
http://rituondnet.blogspot.com/