अँधेरे को इन्तजार है
सुबह का
साहिल को इन्तजार है
लहरों का
शमा को इन्तजार है
परवाने का
कली को इन्तजार है
खिलने का
फूलों को इन्तजार है
भँवरे का
बादलों में छिपी
बूंदों को इन्तजार है
बरसने का
पथराई आँखों को इन्तजार है
किसी के आने का
और
जीवन को इन्तजार है
उज्जवल भविष्य का !
सुबह का
साहिल को इन्तजार है
लहरों का
शमा को इन्तजार है
परवाने का
कली को इन्तजार है
खिलने का
फूलों को इन्तजार है
भँवरे का
बादलों में छिपी
बूंदों को इन्तजार है
बरसने का
पथराई आँखों को इन्तजार है
किसी के आने का
और
जीवन को इन्तजार है
उज्जवल भविष्य का !
1 comment:
बहुत खूब।
शशिजी, काश.. कि यह इंतजार खत्म हो पाता।
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