May 10, 2010

इन्तजार


अँधेरे को इन्तजार है
सुबह का
साहिल को इन्तजार है
लहरों का
शमा को इन्तजार है
परवाने का
कली को इन्तजार है
खिलने का
फूलों को इन्तजार है
भँवरे का
बादलों में छिपी
बूंदों को इन्तजार है
बरसने का
पथराई आँखों को इन्तजार है
किसी के आने का
और
जीवन को इन्तजार है
उज्जवल भविष्य का !

1 comment:

नरेश सोनी said...

बहुत खूब।

शशिजी, काश.. कि यह इंतजार खत्म हो पाता।