Feb 25, 2010

वादा


जिन्दगी मे किसी से,
किया वादा
निभा सकूँ, या ना निभा सकूँ
पर तुझ से तो वादा निभाना ही पड़ेगा
ए मौत !

जजबात मे बहकर
कभी तुझ से भी, वादा किया था मैंने
तू सौं शक्लो मे लहराती फिरती है
पहले
जब कभी ध्यान आता था
की तुझ से वादा निभाना है
तो तेरी
हर शक्ल की हर लहर से ही
कांप उठती थी जिन्दगी
पर
आज ना जाने क्यों
तुझे अपनाना चाहती है जिन्दगी
तेरी लहरों में, लुप्त हो जाना चाहती है जिन्दगी
तेरी आगोश में सर रखकर, सो जाना चाहती है जिन्दगी
अपनी आखरी शाम
तेरे दामन में समेट देना चाहती है जिन्दगी
तेरे से वादा निभाने की, मोहर बन कर रह गई है जिन्दगी
तेरे नाम से ही थोडा बहुत
शाम ढ़लने का मंजर, ख़ूबसूरत सा लगता है
इस जिन्दगी में
तेरे ही दम से बहार रह गई है
इस जिन्दगी में
बस तेरे से ही
वादा निभाने का इंतजार रह गया है
इस जिन्दगी में
लिबास ओड़कर काली स्याही का
आ भी जा
जिन्दगी की मोहर पर लिखे
अपने वादे का
वादा निभा भी जा !

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