Feb 24, 2010

चेहरा


देखकर ,
चन्द्रमा सा गोल चेहरा
चन्द्रमा सी कुटिल मुस्कान लिए,
दिल को अच्छा लगता है!
मन को भाता है!
जीवन की जटिलता को सवांरता है!
और
शायद
जीवन और समय की
जटिलता की कड़ियों के बीच
चांदनी छिटकने पर
मेरे इर्द गिर्द रह कर
होंठो पर मधुर मुस्कान लिए
चंचलता की ओट में
करता अटखेलियाँ
बिखेरता शीतल खशबू
चाहत की
फिजां में
ये
मासूम चेहरा
रहकर भी
दूर शितिज़ में
अहसास दिलाता रहेगा
सदा अपनेपन की!

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।