Sep 21, 2007

भिक्षा संस्थान


एक दिन
बच्चा
स्कूल से घर आया
बोला पापा-पापा
फ़िर से भीख मांग रहे हैं
स्कूल वाले
सौ रुपये की
मैं सकपकाया सा
मैंने कहा भीख
समझा नहीं
बच्चा बोला
न्यूज़ पेपर के लिए
फ़िर बोला
जब देखो मांगते रहते हैं
कभी बीस-बीस स्लिप पकड़ा देते हैं
कारनीवल फेस्टीवल के लिए
कभी डायरी के नाम पर
कभी ग्रूप फोटो के नाम पर
मैं था असमजंस में
बच्चे के मूँह से निकले
शब्दों को सुनकर
मुझे लगने लगा
शिक्षा संस्थान
बन गए हैं
अब
भिक्षा संस्थान
और
बदल सा गया है
ढांचा
शिक्षा प्रणाली का
शिक्षा प्रणाली में
जो देगा
जितनी ज़्यादा भिक्षा
वो पाएगा
उतनी ही उच्च शिक्षा
शिक्षा और भिक्षा के बीच
देश के कर्णधार भी
बने हुए हैं ढाल
हर प्रकार की भिक्षा का कटोरा
हाथ में लिए
खोले बैठे हैं शिक्षा संस्थान
भिक्षा में चाहिए
हर साल
संस्थान की इमारत का
सालभर की क्रियाक्रम का खर्चा
अर्थात
डेवल्पमैन्ट फी भिक्षा
और
साथ-साथ
संस्थान में सालभर कदम रखने का खर्चा
अर्थात
एनुअल चार्ज भिक्षा
समझ से बहार
एक और चार्ज
हर तिमाही चाहिए
मिलाजुला चार्ज भिक्षा
इसी भिक्षा के पंजो से
कस देते हैं
कानून पर भी शिकंजा
बेसिक साधन देने के नाम पर
बिता देते हैं साल
रंग बदल-बदल कर
गिरगिट की तरह
और
कर रहे हैं भरपुर शोषण
आम आदमी का
शिक्षा के नाम पर
लगता है
शिक्षा से ज़्यादा
भिक्षा पर है ज़ोर !

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