Apr 13, 2010

चेहरा



हँसतें-हँसतें
रोने का
अंदाजे बयां भी देखा
रोते-रोते
हँसने का
अंदाजे बयां भी देखा
और
इन दोनों के बीच
असमंजस से घिरा
वो
मंजर भी देखा
उस चेहरे का
जो
खुद-खुद पे
संवर जाता है
अपनी ही
हंसी के दायरे में
खुद-खुद पे
भिखर जाता है
अपने ही
आंसुओं के पैमाने में
सच
क्या कहूँ
इस नक्शे कदम का
जिसका अक्स
उभरता है
उस चेहरे पे
जो
दिन-प्रतिदिन
ओर भी
प्यारा-प्यारा सा
लगता है !

1 comment:

Dev said...

बहुत खूब