Apr 12, 2010

गुडिया


गुडिया

गुडिया
बड़ी होकर
बनेगी तू दुल्हनिया
आंसू बहाएगी तब संग
बचपन की सेहलिया
चेहरे पर जब
पड़ेंगी झुरियां
हो जाएगी
तब
तू बुढिया
आकर तंग
बुढ़ापे से
जाएगी मर
खाकर जहर की पुडिया
रोयेंगे फिर
सिर्फ
गम में तेरे
पोते पोतियाँ
अंत में
ले जाकर
शमशान में
कर डालेंगे
क्रिया-क्रम
तेरा !

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