Mar 31, 2010

अलविदा


वो आए तो थे
महफ़िल में
मगर
कुछ उदास-उदास से
कुछ सिमटे-सिमटे से
फिर
पुकार कर दूर से ही
कुछ सोचकर
कहकर अलविदा
चल दिए
और
दे गए तनहाइयों में
बेबसी के
टूटे हुए पत्थरों से
बना
यादों का खंडहर !

1 comment:

Yatish said...

मायूस नहीं होइए, आजकल खंडरों पर भी लोग घर बना रहे है ...

बहुत खूब !!!

कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
http://qatraqatra.yatishjain.com/