मन
और
तन
दोनो से
करता रहा
जतन
अपने बहुमुलिए
रतनों (पुत्रों)
को
संजोकर
रखने का
पर
आज की
इस
कलयुगी
हवा ने
बिखेर दिया
सूखे
पतों की तरह
बहुमुलिए
रतनों को
और
छीन लिया
सहारा
बुढ़ापे का !
अपने बहुमुलिए
रतनों (पुत्रों)
को
संजोकर
रखने का
पर
आज की
इस
कलयुगी
हवा ने
बिखेर दिया
सूखे
पतों की तरह
बहुमुलिए
रतनों को
और
छीन लिया
सहारा
बुढ़ापे का !
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